अनुपम स्मृति 2022

कहते हैं कि शब्द ब्रह्म होते हैं ; कभी मरते नहीं.

स्वर्गीय श्री अनुपम मिश्र जी को हम भूल भी जाएं, किन्तु उनके लिखे शब्द और उनके जिए जीवन किसी न किसी को अवश्य याद रहेंगे; हरदम…
अनुपम पुण्य तिथि (19 नवम्बर) और अनुपम जयंती ( २२ दिसम्बर) की तरह….
उनके व्याख्यान उठ खड़े होंगे चेताते हुए कि पानी का अकाल बाद में आता है,
उससे पहले आता है हमारे दिल और दिमाग में भयानक सूखा.. विचार और संवेदनाओं का अकाल;
किसी खरे तालाब सा याद दिलाएंगे कि सदियों के अनुभव पर परखे ज्ञान में मौजूद हैं आधुनिक चुनौतियों के समाधान के सूत्र;
सबसे लम्बी रात के सुपने में मौजूद हैं पीछे रहकर आगे जाने का सूत्र .

जन्म तिथि : 22 दिसम्बर, 1947 (वर्ष की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन)

सबसे लम्बी रात का सुपना 

अनुपम स्मृति : अरुण तिवारी

सबसे लम्बी रात का सुपना नया
देह अनुपम बन उजाला कर गया।
रम गया, रचता गया
रमते-रमते रच गया वह कंडीलों को
दूर ठिठकी दृष्टि थी जोे 
पता उसका लिख गया।
सबसे लम्बी रात का सुपना नया..

रमता जोगी, बहता पानी 
रच गया कुछ पूर्णिमा सी 
कुछ हिमालय सा रचा औ
हैं रची कुछ रजत बूंदें
शिलालेखों में रचीं कुछ सावधानी
वह खरे तालाब सा मन बस गया।
सबसे लंबी रात का सुपना नया..

अकाल के भी काल में
अच्छे विचारों की कलम सा
वह चतुर बन कह गया।
रच गया मुहावरे कुछ 
साफ माथे की सामाजिक सादगी से
भाषा का वह मार्ग गांधी लिख गया
सबसे लंबी रात का सुपना नया…

अर्थमय जीवन में है जीवन का अर्थ
एक झोले में बसी खुश ज़िंदगी
व्यवहार के त्यौहार सी वह जी गया
जब गया, नम्र सद्भावना सा
मृत्यु से भी दोस्ती सी कर गया।
सबसे लंबी रात का सुपना नया…

3 thoughts on “अनुपम स्मृति 2022”
  1. प्रिय अरुणजी 
    आपने यह बहुत सुन्दर काम किया। 
    बहुत जल्दी चला गया….. लेकिन काम लम्बे समय के लिए कर गया. 
    सस्नेह 
    राजीव वोरा 

  2. एक जरूरी याद !
    हम यह न भूलें कि यह नाम का नहीं, काम का जीवन था जिसे हम उत्सव में बदल सकते हैं लेकिन जी नहीं सकते. जीने के लिए निजी प्रतिबद्धता व पारदर्शिता जरूरी है.

  3. अनुपम मेरे कॉलेज जीवन से साथी थे। तभी से ही उनका प्रकृति प्रेम और वैचारिक गांभीर्य प्रभावित करते थे। सच्चे अर्थों में वे गांधीवादी थे।
    वे जीवन भर बाह्य और आंतरिक पर्यावरण की शुद्धता संदर्भित कार्य करते रहे।
    अरुण तिवारी जी को साधुवाद !वे अनुपम मिश्र और उनके साहित्य को जीवित रख रहे हैं 🙏🏻

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