अमेठी जनपद की जल समृद्धि हेतु उ. प्र. शासन-प्रशासन से अपेक्षित 15 कदम

निवेदक : अरुण तिवारी

कृपया गौर फरमाएं कि अमेठी जनपद की स्थानीय जल समृद्धि सुनिश्चित करने की दृष्टि से कई कदम अत्यंत आवश्यक हैं :

1. अमेठी की उज्जयिनी नदी का नाम सरकारी बोर्ड / रिकॉर्ड में ’गुलालपुर ड्रेन हो गया है। कृपया सरकारी रिकार्ड में इसका नाम वापस ’उज्जयिनी नदी’ दर्ज करायें।


2. अमेठी जनपद की मालती तथा उज्ज्यिनी नदियों के पुनरोद्धार हेतु क्रमशः प्रत्येक के जलग्रहण क्षेत्र आधारित समग्र सोच वाली योजना बने और उचित तरीके से क्रियान्वित हो।

3.  जल संरचनाओं के स्थान के चुनाव तथा डिजाइन में बुनियादी चूक की वजह से मनरेगा के तहत् नवनिर्मित अधिकांश तालाब बेपानी हैं। कई को नलकूपों से भरा जाता है.

अधिकतर तालाबों में चार ओर से पाल बनाई गई हैं। लिहाजा, प्रत्येक तालाब को उनके जल संग्रहण क्षेत्र की दिशा की तरफ से खोलने के निर्देश दिए जायें।

नए तालाबों के निर्माण हेतु बड़े एवं बाधा मुक्त जल संग्रहण क्षेत्र तथा प्राकृतिक ढाल वाले स्थान के चुनाव को प्राथमिकता दी जाए. 

जगह चुनते समय वाटर रिचार्ज जोन तथा वाटर डिस्चार्ज जोन के भेद का ख्याल रखा जाये.

4. तालाबों की दक्षिण-पश्चिम दिशा वाली पाल पर चौड़े पत्ते वाले पेड़ों की पारम्परिक पंचवटी लगाने एवं उसके संरक्षण हेतु स्थानीय समुदाय को प्रेरित करें. 

5. मवेशियों के पेयजल एवं विवाह संस्कार आदि के सीधे उपयोग वाले तालाबों की पाल पर सादगीपूर्ण अत्यंत छोटे आस्था स्थल के निर्माण हेतु स्थानीय समुदाय को प्रेरित करें.  

वे सामुदायिक खर्च और सामुदायिक सहमति से ऐसा करें.  इसके लिए शासकीय धन न खर्च किया जाए. 

 6. खारी पानी वाले इलाकों में खेत-तलाई तथा ऊंची मेडबंदी व खेती में बागवानी को बढावा देने के काम को प्रोत्साहित करें.  

यहां खेत-तलाई की मिट्टी सीधे-सीधे मेड तथा चक मार्ग निर्माण में इस्तेमाल की जा सकती है. 

7. मनरेगा के तहत छोटे-छोटे प्राकृतिक नालों व छोटी नदियों के घुमावदार मोड़ो पर छोटे- छोटे कुंडों के निर्माण को शामिल करें. 

8.  हैंडपंप आदि के पास सोखता गड्ढा, छोटे ढाल के छोटे जल ग्रहण रकबे में  छोटी-छोटी खाई आदि अन्य प्रकार की यथोचित जल पुनर्भरण संरचनाओं को निर्मित करने की कोशिश हो. 

9.  ग्रामीण सड़कों पर मिट्टी के लिए बगल के खेत/ बाग को नुकसानदेह सीमा तक खोद ड़ाला जाता है. इससे खेत समतल नहीं रह जाता. सिंचाई में ज्यादा पानी बर्बाद होता है. लागत बढ़ती है. उत्पादन दुष्प्रभावित होता है. 

निवेदन है जल संरचनाओं की खुदाई से मिली मिट्टी को पहले उनकी पाल बनाने के काम में लिया जाये. निर्देश हों कि अतिरिक्त मिट्टी का उपयोग स्थानीय ग्राम सभा की अनुमति अनुसार स्थानीय चक मार्गों/ग्राम मार्गों / खेत मेडों के उठान आदि में किया जाये. 

10. अमेठी जनपद के रेल नीर का कार्यरत तथा कोका कोला शीतल पेय का मंजूर संयंत्र ऐसे प्रखण्डों में लगे हैं, जहां पहले ही भूजल की मात्रा तथा गुणवत्ता… दोनो का संकट है। परिणामस्वरूप, आगे चलकर उनके आसपास के पानी, कृषि, सेहत व रोज़गार की स्थिति और जटिल होगी।

 लिहाजा, नीतिगत् तौर अमेठी समेत पूरे प्रदेश में यह सुनिश्चित हो कि जो उद्योग भूमि से जैसा और जितना पानी निकाले, संयंत्र के आसपास के दुष्प्रभावित होने इलाके में कम से कम उतना और वैसी गुणवत्ता का पानी भूगर्भ जल स्त्रोतों में वापस पहुंचाये। 

उत्तर प्रदेश के भूजल कानून काफी बेहतरीन हैं.  कृपया उक्त प्रावधान को भूजल कानूनों का हिस्सा बनाकर बाध्यकारी बनाएँ. 

11. स्थानीय पेयजल प्रबंधन, संवैधानिक तौर पर पूरी तरह गांव व नगर सरकारों का कर्तव्य एवं अधिकार है. 

निवेदन है कि स्थानीय सिंचाई एवम् पेयजल संबंधी स्थानीय प्रबंधन को पूरी तरह पंचायतों एवम् नगर पालिकाओं को सौंप दिया जाए। आवश्यकता होने पर उन्हे सिर्फ तकनीकी एवम् वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाए।

12. इसके पूर्व यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक ग्राम पंचायत से संबंधित जल प्रबंधक समिति समेत विकास संबंधी समस्त ग्राम समितियों के अध्यक्ष एवम् सदस्यों के नाम, पद एवम् मोबाइल संपर्क नंबर, उस ग्राम पंचायत के पंचायत भवन, विद्यालय, सरकारी राशन की दुकान की दीवारों पर बडे. अक्षरों एवम् हिन्दी भाषा में लिखें हों। प्रत्येक वार्ड में कम से कम एक जगह यह दर्ज हो। इससे जानकारी व जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. 

13. राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन में यह सुनिश्चित कराने का निर्देश था कि शौचालयों का निर्माण किसी भी जल स्त्रोत से 10 मीटर दूरी के भीतर न किया जाए। कृपया जांच करायें और यह सुनिश्चित कराने का कष्ट करें। जिस तरह के गड्ढे बनाकर शौचालय बनाये गए हैं, उन्हे देखते हुए भविष्य में भूजल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए यह कदम ज़रूरी है।

14. अमृत सरोवर निर्माण में हो रहे कार्य, खर्च तथा उनके लाभ/प्रभाव का जल अंकेक्षण आगामी चतुर्मास के तत्काल बाद अक्टूबर-नवम्बर माह में करने का कष्ट करें. 

15. प्रत्येक प्रत्येक वार्ड सदस्य अपने वार्ड में वर्षा जल, मौजूदा सतही ढांचों की जल ग्रहण क्षमता तथा वार्ड की जल जरुरत का आकलन करके वार्ड का जल बजट बनाएँ.  जल प्रबंधन समितियों को यह काम कराने की जिम्मेदारी सौंपी जाये. 

जल प्रबंधन समितियां तद्नुसार अपनी ग्राम पंचायत की पंचायती जल प्रबंधन योजना खुद बनाएँ. 

जरूरत पड़ने पर स्थानीय शिक्षण संस्थान इसमें सहयोग करें.  इसके लिए शासकीय स्तर पर किसी आर्थिक सहयोग का प्रावधान न हो. 

विस्तृत जल विमर्श हेतु भारत जल स्वावलंबन प्रस्ताव लिंक

https://hindi.indiawaterportal.org/articles/bhaarata-jala-savaavalamabana-parasataava-2019

कृपया विचार करें. 

निवेदक : अरुण तिवारी – 9868793799
Leave a Comment