पानी के आइने में न्यू इंडिया – एक
बाढ़ के बिहार में पानी का संत्रास आज
रचनाकार: अरुण तिवारी
बूंदा है, बरखा है,
पर तालाब रीते हैं,
माटी के होंठ तक
कई जगह सूखे हैं।
भूजल की सीढ़ी के
नित नये डण्डे टूटे हैं,
गहरे-गहरे बोर ने
कई कोष लूटे हैं।
शौचालय का शोर भी
कई कोष लूटेगा,
स्वस्थ भारत का सपना
जल्द..शीघ्र टूटेगा।
यह न्यू इंडिया है…
स्वच्छ नदियों का गौरव
बचा नहीं शेष अब,
हिमनद के आब तक
पहुंच गई आग आज।
राजस्थान में बाढ़ का
आगाज है और
बाढ़ के बिहार में
पानी का संत्रास आज।
मौसम की चुनौती
घर खेत खा रही,
मधुमक्खियां भी गांव छोड़
शहर को हैं जा रही।
यह न्यू इण्डिया है….