सुनो-सुनो ऐ दिल्ली वालो…

यमुना के योद्धा स्वर्गीय श्री मनोज मिश्र जी ( 07.10.1954 से 04-06-2023) की स्मृति को सादर समर्पित है यह आह्वान

निवेदक – अरुण तिवारी

सुनो-सुनो ऐ दिल्ली वालो,
तुम्हे कसम है यमुना जी की,
अमृत में तुम विष मत डालो
अपने नाले खुद संभालो।

घर-घर टॉयलेट टैंक बना लो,
काम्प्लेक्स परिसर में त्रिकुण्ड बना लो।
सीवेज पाइप. उद्योग जहां प्यारे,
कॉलोनी कॉमन शोध संयंत्र लगा लो।

न रोका पॉली, परनाले औ कचरा. पीढ़ी को विष दे जाओगे,
जीते-जी तुम मर जाओगे,
छठ मनाने कहां जाओगे।

नाले में ठोस कचरे की भरमार – फोटो साभार डाउन टू अर्थ

सुनो-सुनो ऐ दिल्ली वालो,
तुम्हें कसम है यमुना जी की…

है पानी परजीवी दिल्ली,
भोग नहीं, सदुपयोग करो तुम, कम जरुरत, कम निकालो,
लीकेज रोको, कलंक मिटा लो।

सिर पर बरसे अमृत जल है,
पार्क, झील में उसे संजो लो। खेत तलाई, पार्क सिंचाई,
शोधित जल से काम चला लो। कचरा खाते, जल जीवन को स्वच्छ बनाते,
ऐसे जीवों को जल में पालो।

नदी किनारे घास कास हो, जामुन, बरगद, पाकड़, नीम, कदम्ब,
दूर सजी स्वच्छ-सुंदरा पंचवटी हो।
हर रस्ते पे पौध लगे हों,
घर-आंगन में फूल खिले हों,
राजधानी की हवा बचा लो।

दिल्ली जल शक्ति पार्क – फोटो साभार SDMC

सुनो-सुनो ऐ दिल्ली वालो,
तुम्हे कसम है यमुना जी की…

जब यमुन बीच हों मछली-मगरा,
तब लहर उठे मन को भा जाय,
गौ-कान्हा कालिंदी मन भाये,
कूल-कूल कृष्णमय हो जाय।

घाट-घाट पे ठाठ बिछाकर
बैठे पंडा नदिया बांचैं,
न भूले रैदास कठौती,
वेद पढ़ें. औ नदी बचाये।

गुरुवाणी गूंजे अजान भी,
जैन, पारसी, बौद्ध, बहाई
आओ सब मिलकर करो साधना,
दिल्ली दरिया को पाक बना लो।

सुनो-सुनो ऐ दिल्ली वालो,
तुम्हे कसम है यमुना जी की…

जैसे कभी नन्हे कृष्ण ने अपनी कृष्णा को कालियादेह के दंश से मुक्त किया, वैसे ही हम भी साहस दिखाएं. यमुना को प्रदूषण के दैत्य से मुक्त कराएं.

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