बाल कविता : एक पहेली राही मतवाले
जीवन देने को जन्मे हैं, जीवन देकर ये मिट जाते, जिस सागर से ये उठते हैं, उस सागर में लौट के जाते, इसीलिए सब इनको चाहते, जितने भूरे, उतने...
जीवन देने को जन्मे हैं, जीवन देकर ये मिट जाते, जिस सागर से ये उठते हैं, उस सागर में लौट के जाते, इसीलिए सब इनको चाहते, जितने भूरे, उतने...
अरुण तिवारी नदिया में मैं गंगा की धार बंधु,देह कालिया का हूं मैं मर्दनहार बंधु।लेना-देना मुझसे बस प्यार बंधु,ओ बंधु रे…. ओ मेरे यार...
आदरणीय पाठक,नमस्ते. मेरठ के एक जल सम्मेलन में हम मिले. यह श्रीमान सिराज केसर से मेरी पहली मुलाकात थी. हम एक ही बस में...
सबसे लम्बी रात का सुपना नया देह अनुपम बन उजाला कर गया। रम गया, रचता गया रमते-रमते रच गया वह कंडीलों को दूर ठिठकी दृष्टि थी जोे पता...