Tag: अरुण तिवारी

बाल कविता : एक पहेली राही मतवाले

जीवन देने को जन्मे हैं, जीवन देकर ये मिट जाते, जिस सागर से ये उठते हैं, उस सागर में लौट के जाते, इसीलिए सब इनको चाहते, जितने भूरे, उतने...

नदिया में मैं गंगा की धार बंधु

अरुण तिवारी नदिया में मैं गंगा की धार बंधु,देह कालिया का हूं मैं मर्दनहार बंधु।लेना-देना मुझसे बस प्यार बंधु,ओ बंधु रे…. ओ मेरे यार...