पानी के आइने में न्यू इंडिया – पांच
हाय, समय यह कैसा आया मोल बिका कुदरत का पानी। विज्ञान चन्द्रमा पर जा पहुंचा धरा पर प्यासे पशु-नर-नारी। यह न्यू इंडिया है...
हाय, समय यह कैसा आया मोल बिका कुदरत का पानी। विज्ञान चन्द्रमा पर जा पहुंचा धरा पर प्यासे पशु-नर-नारी। यह न्यू इंडिया है...
कहते हैं, इन दिनों धरती बेहद उदास है। इसके रंजो-ग़म के कारण कुछ ख़ास हैं।
जो मरता था मार्च में, अब अक्तूबर में मरता है। यह बांदा का किसान है, नये भारत का निशान है। यह न्यू इण्डिया है...
कहते हैं कि शब्द ब्रह्म होते हैं ; कभी मरते नहीं. स्वर्गीय श्री अनुपम मिश्र जी को हम भूल भी जाएं, किन्तु उनके लिखे शब्द...
अरुण तिवारी नदिया में मैं गंगा की धार बंधु,देह कालिया का हूं मैं मर्दनहार बंधु।लेना-देना मुझसे बस प्यार बंधु,ओ बंधु रे…. ओ मेरे यार...
अनुपम जी होते तो शायद कहते, ''अपन इस सवाल की बहस में क्यों पड़ें ? चतर सिंह, लक्षमण सिंह और राजेन्द्र के साथ मिलकर...